ऊँ शांति,
एक गांव में एक संत प्रवचन करने गए । यहां के कुछ लोगों ने उस ज्ञानी संत को अपने-अपने दुख सुनाएं ।
संत ने पूछा, इनकी समाप्ति के लिए आपने क्या कुछ किया है ?
उन लोगों ने बतलाया कि हमने ईश्वर से बहुत फरियाद की है कि हमें इन दुखों से बचा लो ।
संत ने पूछा, क्या फरियाद के अलावा और भी कुछ किया है ?
लोगों ने जवाब दिया, हम तो फरियाद ही करना जानते हैं और उसी में अपना सारा समय लगाते हैं ।
तब उस संत ने कहा, हे भक्तो, भगवान फरियाद से नहीं, सच्चे ह्रदय की याद से प्रसन्न होते हैं । जैसे एक भिखारी दरवाजे पर फरियाद करता है पर उसे क्या मिलता है ? ₹1 या मुट्ठी भर अनाज । परंतु एक पुत्र जो पिता को याद करता है । पिता की प्रेम भरी याद उसके दिल में बसी ही रहती है तो बिना फरियाद के उसे सब कुछ पिता से मिल जाता । आप भी अपने को प्रभु का पुत्र निश्चय करके उसे याद करो सब दुख दूर हो जाएंगे ।
भौतिक रूप से सर्व सुविधाएं होने के उपरांत भी व्यक्ति के मन में खुशी व शांति नहीं क्योंकि वह रीस करता है, रेस नहीं । किसी और के पास अपने से अधिक वैभव देखते ही वह ईर्ष्या करना शुरू कर देता और इस तरह जिंदगी की रेस में पीछे छूटने लगता है । फिर वह भगवान से फरियाद करने लगता है ।
जितना समय हम फरियाद में गंवाते हैं । उससे आधा वक्त भी प्रभु की याद में या प्रभु का शुक्रिया मनाने में लगाएं तो खुशियों और शांति में वृद्धि होती है ।
Om shanti