Tuesday, July 14, 2020

Om shanti 2

ऊँ शांति, 

एक गांव में एक संत प्रवचन करने गए । यहां के कुछ लोगों ने उस ज्ञानी संत को अपने-अपने दुख सुनाएं । 

संत ने पूछा, इनकी समाप्ति के लिए आपने क्या कुछ किया है ? 

उन लोगों ने बतलाया कि हमने ईश्वर से बहुत फरियाद की है कि हमें इन दुखों से बचा लो ।  

संत ने पूछा, क्या फरियाद के अलावा और भी कुछ किया है ? 

 लोगों ने जवाब दिया, हम तो फरियाद ही करना जानते हैं और उसी में अपना सारा समय लगाते हैं । 

तब उस संत ने कहा,  हे भक्तो,  भगवान फरियाद से नहीं, सच्चे ह्रदय की याद से प्रसन्न होते हैं । जैसे एक भिखारी दरवाजे पर फरियाद करता है पर उसे क्या मिलता है ?  ₹1 या मुट्ठी भर अनाज । परंतु एक पुत्र जो पिता को याद करता है । पिता की प्रेम भरी याद उसके दिल में बसी ही रहती है तो बिना फरियाद के उसे सब कुछ पिता से मिल जाता । आप भी अपने को प्रभु का पुत्र निश्चय करके उसे याद करो सब दुख दूर हो जाएंगे ।

भौतिक रूप से सर्व सुविधाएं होने के उपरांत भी व्यक्ति के मन में खुशी व शांति नहीं क्योंकि वह रीस करता है,  रेस नहीं । किसी और के पास अपने से अधिक वैभव देखते ही वह ईर्ष्या करना शुरू कर देता और इस तरह जिंदगी की रेस में पीछे छूटने लगता है ।  फिर वह भगवान से फरियाद करने लगता है । 

जितना समय हम फरियाद में गंवाते हैं । उससे आधा वक्त भी प्रभु की याद में या प्रभु का शुक्रिया मनाने में लगाएं तो खुशियों और शांति में वृद्धि होती है ।



Om shanti

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